एमएसएमई राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वित्तीय समावेश और पूरे देश में, पूरे शहरों में और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के महत्वपूर्ण स्तरों के सृजन की राष्ट्रीय अनिवार्यताएं पूरी करने के लिए एमएसएमईज का विकास महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यह सेक्टर नई पीढ़ी के ऐसे उद्यमियों को पोषित कर सकता है और उनके विकास में सहायता प्रदान कर सकता है, जिनके पास वैश्विक स्तर पर प्रतियोगितात्मक व्यवसाय सृजित करने की संभावना है।
भारत सरकार उद्यमिता की कल्पना, तीव्र और मजबूत आर्थिक प्रगति पूरी करने में एक अभिन्न अंग के रूप में करती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रगति के लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचें, विशेष रूप से सीमांतक समूहों तक, जिनमें अनुसूचित जाति/ जनजाति के उद्यमी शामिल हैं, भारत सरकार, सरकारी सेक्टर के खरीद क्रियाकलापों को अधिक समावेशी और सहभागितापूर्ण बनाने का प्रयास कर रही है।
इस संबंध में ''सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए लोक खरीद नीति'' में इस बात को अनिवार्य किया गया है कि केंद्र सरकार के मंत्रालय, विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, उत्पाद और सेवाओं के अपने कुल वार्षिक मूल्य का न्यूनतम 25 प्रतिशत सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से खरीदें, जिसमें अनुसूचित जाति/ जनजाति उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से उत्पाद और सेवाओं की कुल खरीददारी का 4 प्रतिशत और महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से उत्पाद और सेवाओं की कुल खरीद का 3 प्रतिशत शामिल है।
पिछले समय में अनुसूचित जाति/ जनजाति के स्वामित्व वाले उद्यमियों की संख्या में आंशिक वृद्धि हुई है और इसे मजबूती से बढ़ाना चाहिए ताकि अनुसूचित जाति/ जनजाति समुदायों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण किया जा सके। इसलिए अनुसूचित जाति/ जनजाति समूहों को उद्यमिता इकोसिस्टम की मुख्य धारा में लाने के प्रयास में एमएसएमई मंत्रालय द्वारा अनेक योजनाओं का शुभारंभ किया गया है। इसके अलावा, माननीय प्रधान मंत्री महोदय ने स्टार्ट अप इंडिया पहल का शुभारंभ भी किया है, जिसमें जमीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बैंक ऋणों की सुविधा प्रदान की जाएगी जिससे आर्थिक सशक्तीकरण समर्थ होगा और परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर सृजित होंगे ।
नीति में दिए गए लक्ष्य की शीघ्र प्राप्ति के लिए भारत सरकार ने बाज़ार पहुंच में वृद्धि करने और सरकारी खरीद में अनुसूचित जाति/ जनजाति उद्यमियों की उच्चतर सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य के साथ नए उद्यमों के सृजन को बढ़ावा देने के लिए भी नेशनल एस सी एस टी हब की स्थापना एक पहल है | सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने नेशनल एस सी एस टी हब योजना के लिए 2016-2020 की अवधि के लिए 490 करोड़ रुपए का आरंभिक आबंटन किया है।
अनुसूचित जाति / जनजाति के उद्यमियों को व्यावसायिक सहायता उपलब्ध कराने के किए नेशनल एस सी एस टी हब स्थापित किया किया गया ताकि सूक्ष्म एवं लघु उद्यमी केंद्रीय सरकार की सरकारी खरीद नीति आदेश, 2012 के अंतर्गत दायित्व पूरे करने के लिए, प्रचलित व्यवसाय पद्धतियां को अपनाने और स्टैंड अप इंडिया पहल का लाभ उठा सकें |
यह हब एमएसएमई मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है |