राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हब में आपका स्वागत है

एमएसएमई राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वित्तीय समावेश और पूरे देश में, पूरे शहरों में और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के महत्वपूर्ण स्तरों के सृजन की राष्ट्रीय अनिवार्यताएं पूरी करने के लिए एमएसएमईज का विकास महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यह सेक्टर नई पीढ़ी के ऐसे उद्यमियों को पोषित कर सकता है और उनके विकास में सहायता प्रदान कर सकता है, जिनके पास वैश्विक स्तर पर प्रतियोगितात्मक व्यवसाय सृजित करने की संभावना है।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हब स्कीम
एकल बिंदु पंजीकरण स्कीम (एसपीआरएस)

सरकार अनेक सामानों की सबसे बड़ी एकल खरीददार है। लघु सेक्टर से खरीददारियों के हिस्से में वृद्धि करने की दृष्टि से 1955-56 में सरकारी स्टोर खरीद कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया था। एनएसआईसी, सरकारी खरीददारियों में सहभागिता के लिए एकल बिंदु पंजीकरण स्कीम (एसपीआरएस) के अंतर्गत सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) को पंजीकृत करता है।

पंजीकरण के लाभ
  • 1. टेंडर सेट नि:शुल्क जारी करना
  • 2. बयाना राशि जमा (ईएमडी) के भुगतान से छूट
  • 3. एल-1 जमा 15 प्रतिशत के मूल्य बैंड के अंदर मूल्य उद्धृत करने वाले टेंडर में भाग लेने वाले सूक्ष्म एवं लघु उद्यम को एल-1 मूल्य तक अपने मूल्य नीचे लाकर आवश्यकता के 20 प्रतिशत तक के भाग की आपूर्ति की अनुमति भी होगी, जहां एल-1, सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के अलावा कोई अन्य हो।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हब स्कीम
विशेष विपणन सहायता स्कीम (एसएमएएस)

अपने उत्पादों की प्रतियोगितात्मकता और विपणनीयता में वृद्धि करने के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमों को विपणन सहायता निम्नलिखित तरीके से उपलब्ध कराई जाएगी:

  • 1. विदेश में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/व्यापार मेलों/संगोष्ठियों में जाने की व्यवस्था करना।
  • 2. विदेश में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/व्यापार मेलों/संगोष्ठियों में सहभागिता।
  • 3. घरेलू प्रदर्शिनियों/व्यापार मेलों में जाने की व्यवस्था करना।
  • 4. घरेलू प्रदर्शिनियों/व्यापार मेलों में सहभागिता।
  • 5. वेंडर विकास कार्यक्रम।
  • 6. कार्यशालाएं/संगोष्ठियां/जागरूकता अभियान आयोजित करना।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हब स्कीम
परीक्षण शुल्‍क प्रतिपूर्ति स्‍कीम

80% या रु 1,00,000 / - (जीएसटी और अन्य लागू करों को छोड़कर) की प्रतिपूर्ति, जो भी कम हो, परीक्षण शुल्क के रूप में वसूला जाता है, किसी भी केंद्रीय / राज्य विभाग / सार्वजनिक क्षेत्र के NABL / BIS मान्यता प्राप्त लैब या लैब से परीक्षण सेवाओं का लाभ उठाने के लिए एक वित्तीय वर्ष में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा दिए गए अंडरटेकिंग और लाइसेंस या प्रमाणन।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हब स्कीम
निर्यात संवर्धन परिषद सदस्‍यता प्रतिपूर्ति स्‍कीम

वार्षिक सदस्यता सदस्यता शुल्क पर SC / ST MSEs को वित्तीय वर्ष में 80% या रु 20,000 / - (जीएसटी और अन्य लागू करों को छोड़कर) की प्रतिपूर्ति, विभिन्न निर्यात संवर्धन परिषदों द्वारा लिए जाने वाले वार्षिक सदस्यता शुल्क / एक बार सदस्यता शुल्क / प्रवेश शुल्क (EPC)

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हब स्कीम
बैंक लोन प्रोसेसिंग प्रतिपूर्ति स्‍कीम

व्यवसाय ऋण प्राप्त करने में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति एमएसईज द्वारा भुगतान किए गए बैंक ऋण प्रोसेसिंग प्रभारों पर 80 प्रतिशत या 1,00,000/- रुपए (जीएसटी और लागू होने वाले अन्य करों को छोड़कर), इनमें से जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हब स्कीम
बैंक गारंटी प्रभार प्रतिभूति स्कीम

केंद्रीय/राज्य सरकार/सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की निविदाओं में भाग लेने के लिए अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति एमएसईज द्वारा भुगतान किए गए कार्य-निष्पादन बैंक गारंटी प्रभारों पर 80 प्रतिशत या 1,00,000/- रुपए (जीएसटी और लागू होने वाले अन्य करों को छोड़कर), इनमें से जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हब स्कीम
क्षमता निर्माण प्रबंधन प्रशिक्षण शुल्‍क प्रतिपूर्ति स्‍कीम

राष्ट्रीय रैंकिंग फ्रेमवर्क संस्थान (एनआईआरएफ) के अंतर्गत मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा चुने गए शीर्ष 80 प्रबंधन संस्थानों से अल्पकालिक (1-30 दिन की अवधि के) प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति उद्यमियों और उनके आश्रितों के लिए पाठ्यक्रम शुल्क की प्रतिपूर्ति।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हब स्कीम
एन एस आई सी के बी2बी पोर्टल की सदस्‍यता

राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (NSIC) ने MSME ग्लोबल मार्ट (www.msmemart.com) पोर्टल लॉन्च किया है|जो की एक वैश्विक व्यापार से व्यवसाय (B2B) पोर्टलहै|जो मार्केटिंग सपोर्ट की सुविधा प्रदान करता है। यह पोर्टल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) द्रश्यता को बढ़ाते हुए खरीदारों और आपूर्तिकर्ताओं को जोड़ते हुए सभी उपयोगकर्ताओ को ट्रेड लीड अवमकीवर्ड आधारित निविदा अलर्ट उपलब्ध करता है जिससेउधमियों के ऑनलाइन व्यापार में वृद्धि हो|

पोर्टल को यूआरएल/वेब एड्रेस www.msmemart.com का उपयोग करके ब्राउज किया जा सकता है

Success Story
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Mr. Sukumar

Mr. Sukumar from Bangalore has been running a logistics business since 2005, catering to the private sector. Though initially skeptical about public procurement, he learned about the National SC-ST Hub (NSSH) scheme and participated in its Awareness and Special Vendor Development Programs. With support from the NSSH Office in Bangalore, he successfully tendered for the Food Corporation of India, securing an order worth Rs 7.23 Crore. He also benefited from the Reimbursement of Bank Charges on Performance Bank Guarantee.

Ms. K Paone

Ms. K Paone

Ms. K Paone, a woman entrepreneur from Manipur, turned her small embroidery and sewing shop into a successful business. Her unit, Skill Trader, availed a benefit of Rs. 1.72 lakh under SCLCSS component and also participated in domestic exhibitions under SMAS component of National SC-ST Hub. With the support from NSSH, she was able to increase her turnover from Rs. 5 lakh to Rs. 30 lakh and presently employs 12 people in her unit.

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Ms. Hemlata

Smt. Hemlata Chandra, Co-founder of M/s Athom Electric Pvt. Ltd., boosted her business through National SC-ST Hub and PSUs like IOCL and GAIL. With support from NSSH, including Rs 1 lakh testing fee reimbursement subsidy and participation in IIM Jammu's Business Accelerator Program, her company's turnover soared from Rs 23 lakhs in 2019 to over Rs 1 crore in 2024. She also expanded her workforce from 4 to 15 employees.

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Ms. Krishna Kumari

Smt. Krishna Kumari, the owner of Krishna Creation, has built a successful apparel manufacturing business. Starting with her own savings and just two helpers, Krishna focused on producing high quality, customized clothing. Through the National SC-ST Hub, she attended awareness campaigns, registered on e-commerce portals and participated in 8 domestic and 2 international exhibitions. These opportunities led to a significant growth in her business. Further, through SMAS, she was able to secure reimbursements for stall and travel charges. Today, Krishna employs 10 people and continues to grow, with her venture.

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Sh. Dinesh Rajvanshi

Sh. Dinesh Rajvanshi's journey from humble beginnings in Gujarat to entrepreneurial success is inspiring. Born into a modest family, he joined the family business of industrial compressors in 1986, focusing on R&D. His dedication to society was evident when he repaired ventilators for a hospital. Seeking to scale his business, he secured a Rs 25 Lakh subsidy under the NSSH's Special Credit Linked Capital Subsidy Scheme and attended Special Vendor Development Programs. This support led to work orders from DRDO and ISRO. His firm's compressors now play a crucial role in the Chandrayan-3 mission.